इस पोस्ट में क्या है?

इस लेख में हम राग शुद्ध कल्याण का परिचय (Raag Shuddh Kalyan Parichay) दे रहे हैं, जिसमें आप जानेंगे:

  • राग शुद्ध कल्याण का परिचय और विशेषताएँ
  • आरोह, अवरोह, पकड़ और वादी-सम्वादी स्वर
  • गायन समय और उससे जुड़े मतभेद
  • राग शुद्ध कल्याण की बंदिश
  • राग शुद्ध कल्याण पर आधारित FAQs

यह पोस्ट राग को समझने वाले विद्यार्थियों और संगीत प्रेमियों के लिए उपयोगी है।

राग शुद्ध कल्याण परिचय – Raag Shuddh Kalyan

राग शुद्ध कल्याण परिचय

Raag Shuddh Kalyan – इसे कल्याण थाट से उत्पन्न माना गया है। इसके आरोह में म, नि तथा अवरोह में म वर्ज्य माना जाता है, अतः इसकी जाति ओडव – षाडव है। निषाद स्वर अल्प है। वादी स्वर – गन्धार और सम्वादी स्वर – धैवत है। इसका गायन समय रात्रि का प्रथम प्रहर है। इसके सभी स्वर शुद्ध हैं।

आरोह–अवरोह और पकड़

  • आरोह – सा रे ग प ध सां।
  • अवरोह – सां नि ध प, मे ग, रे सा।
  • पकड़ – ग रे सा, नि ध प, सा, ग रे प रे सा।

Raag Shuddh Kalyan Parichay

विशेषताविवरण
थाट (Thaat)कल्याण
जाति (Jati)ओडव – षाडव
वादी (Vadi)ग (गंधार)
सम्वादी ध (धैवत)
गायन समयरात्रि का प्रथम प्रहर
न्यास स्वरसा, रे, ग, प
समप्रकृति राग  भूपाली

राग शुद्ध कल्याण की विशेषताएँ

  • उत्पत्ति – शुद्ध कल्याण की उत्पत्ति भूपाली और कल्याण के मेल से हुई है। आरोह भूपाली और अवरोह कल्याण का है। इसे कुछ विद्वान भूपकल्याण भी कहते हैं।
  • प रे की कण युक्त संगति – छायानट में प–रे की संगति महत्वपूर्ण है। शुद्ध कल्याण में कण का प्रयोग होता है।
  • गंभीर प्रकृति – मंद्र, मध्य और तार सप्तक में इसका सुचारू चलन होता है।
  • निषाद स्वर – अल्प प्रयोग। अधिक प्रयोग से कल्याण राग की छाया आने की आशंका रहती है।
  • मध्यम स्वर – अवरोह में प से ग तक मींड लेते समय तीव्र मध्यम का आभास दिखाया जाता है, जो कल्याण थाट का रागवाचक अंग है।

स्वर उदाहरण

  • शुद्ध कल्याण – ग ऽ प रे ऽ सा, नि ध नि ध प।
  • भूपाली – सा रे ग प ग, रे ग ऽ रे सा रे ध सा।

राग शुद्ध कल्याण बंदिश

स्थायी (Sthayi)

जाने दे मोहे, घर बलमा अब
झूठी बतिया करो ना।

अंतरा (Antara)

घडी घड़ी समझ रहू, समय ध्यान धरो
बितत दिन नहीं आये।

Raag Shudh Kalyan Bandish Notes

स्थायी

जा – | ने – | दे – | मो– – | हे – | –  – 
 ग – | रे सा | रे – | रेग   प | रे – | सा – 
x      | ०     | २    | ०          | ३    | ४

घ  – | रे – |  ब ल | मा – | अ  – | ब –
नि ध | प – | सा ध | सा – | ग  रे | सा –

झू – | ठी – | ब  ति | या – | क  रो | ना –
 ग – |  रे – |  ग  ध |  प – |  ग   प | रे सा

जा – | ने – | दे – | मो– – | हे – | –  – 
 ग – | रे सा | रे – | रेग   प | रे – | सा – 
x      | ०     | २    | ०          | ३    | ४

अंतरा

घ ड़ी | घ डी | स   म | झा – | र  –  | हू  – 
ग  प | ध   ध | सां सां | ध  प | ध  प | सां – 

x      | ०       | २       | ०       | ३    | ४

स  म | य  – | ध्या  – | न  – | ध  – | रो – 
सां गं | रें  – | सां  सां | ध  प | ध  प | सां – 

बि  – | त  त | दि  न | न  हीं | आ  – | ये  –
सां ध |  रें   रें|  नि  ध | प  प  | ग   प | रे सा

x      | ०       | २       | ०       | ३      | ४

राग शुद्ध कल्याण से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (FAQs)

प्रश्न: राग शुद्ध कल्याण का परिचय क्या है?
उत्तर: शुद्ध कल्याण, कल्याण थाट से उत्पन्न करुण रसप्रधान राग है। इसमें सभी स्वर शुद्ध हैं।

प्रश्न: राग का आरोह–अवरोह क्या है?
उत्तर:

  • आरोह – सा रे ग प ध सां।

  • अवरोह – सां नि ध प, मे ग, रे सा।

प्रश्न: वादी और सम्वादी स्वर कौन-से हैं?
उत्तर: वादी – ग (गंधार), सम्वादी – ध (धैवत)।

प्रश्न: राग का गायन समय क्या है?
उत्तर: रात्रि का प्रथम प्रहर।

प्रश्न: इसमें निषाद स्वर का प्रयोग कैसा है?
उत्तर: अल्प; अधिक प्रयोग से कल्याण राग की छाया आ सकती है।

प्रश्न: राग की जाति क्या है?
उत्तर: ओडव – षाडव। आरोह में पाँच और अवरोह में छह स्वर होते हैं।

प्रश्न: राग शुद्ध कल्याण की समप्रकृति राग कौन-सी है?
उत्तर: भूपाली राग इसकी समप्रकृति राग है।

प्रश्न: राग शुद्ध कल्याण में कौन-कौन सी रचनाएँ गाई जाती हैं?
उत्तर: इसमें बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल, ध्रुपद, धमार और तराना गाए जाते हैं।

प्रश्न: शुद्ध कल्याण राग और भूपाली में अंतर क्या है?
उत्तर: आरोह भूपाली की तरह और अवरोह कल्याण की तरह होता है। भूपाली में मींड अधिक होता है, जबकि शुद्ध कल्याण में कण युक्त संगति का प्रयोग होता है।

प्रश्न: राग शुद्ध कल्याण का स्वर-संगति का प्रमुख तत्व क्या है?
उत्तर: प–रे और ग–रे की संगति, मींड और कण के माध्यम से राग की विशेषता उभरती है।

प्रश्न: शुद्ध कल्याण राग का भाव या प्रकृति क्या है?
उत्तर: यह गंभीर और करुण रस प्रधान राग है।

प्रश्न: राग में मध्यम स्वर का प्रयोग कैसा होता है?
उत्तर: अवरोह में प से ग तक मींड के साथ तीव्र मध्यम स्वर का अल्प प्रयोग होता है, जो राग के स्वर-संगति को कल्याण थाट के अनुरूप बनाता है।

How To Read Sargam Notes

कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • कोमल ग: ग(k) या
  • कोमल रे: रे(k) या रे
  • कोमल ध: ध(k) या
  • कोमल नि: नि(k) या नि

नोट: आप परीक्षाओं में (रे, , , नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।

तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • तीव्र म: म(t) या मे

स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।

तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।

मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।

  • उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि

तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।

    • उदाहरण: सां = तार सप्तक सा
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