इस पोस्ट में क्या है?
इस पोस्ट में हम राग हमीर का परिचय (Raag Hameer Parichay) प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसमें आप जानेंगे Raag Hameer Notes, इसकी आरोह-अवरोह, पकड़, और राग हमीर की प्रसिद्ध बंदिश “कैसे जाऊ लंगरवा” के बारे में भी विस्तार से। यह बंदिश स्वरलिपि (Notation) सहित दी गई है, जिससे विद्यार्थी और संगीत प्रेमी दोनों लाभ उठा सकें।
राग हमीर परिचय
धग वादी-संवादी मानत, प्रथम प्रहर निशि गावत ।
दो मध्यम सब सुरन से, हमीर राग सब जानत ।।
Raag Hamir – राग हमीर की उत्पत्ति कल्याण थाट से मानी गई है। इसमें दोनों मध्यम तथा अन्य स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। जाति संपूर्ण-संपूर्ण है । वादी स्वर धैवत तथा संवादी गंधार है।
इसका गायन-समय रात्रि का प्रथम प्रहर है ।
राग हमीर आरोह-अवरोह और पकड़
आरोह- सा रे सा, ग म प मे प, ग म धऽ नि ध सां ।
अवरोह- सां नि ध प, मे प ध प ग म रे सा ।
पकड़ – सा रे सा, ग म नि ध ।

Raag Hameer Parichay
विशेषता | विवरण |
---|---|
थाट (Thaat) – | कल्याण |
जाति (Jati) – | संपूर्ण – संपूर्ण |
वादी (Vadi) – | धैवत (ध) |
संवादी (Samvadi) – | गंधार (ग) |
गायन समय – | रात्रि का प्रथम प्रहर |
कृती (Nature) – | चंचल |
राग हमीर विशेषताएँ, मतभेद & अपवाद
मतभेद
कुछ संगीतज्ञ इसे बिलावल थाट से भी जोड़ते हैं, क्योंकि स्वरूप में समानता पाई जाती है।
भातखण्डे जी ने इसके आरोह में पंचम वर्ज्य माना है, परंतु यह सम्पूर्ण जाति का राग माना जाता है। इसलिए पंचम का प्रयोग आवश्यक माना जाता है।
अपवाद
- राग हमीर का वादी स्वर (धैवत) सप्तक के उत्तरांग में आता है, जबकि राग का समय दिन के पहले भाग में होता है। इस विरोध को देखते हुए इसे नियम का अपवाद माना गया है।
विशेषताएँ
- तीव्र मध्यम का प्रयोग सिर्फ आरोह में और वो भी पंचम के साथ – जैसे: मे प, मे प ध प
- वक्र नि का प्रयोग आरोह में – नि ध सां
- वक्र गंधार का प्रयोग अवरोह में – ग म रे सा
- तार सप्तक जाते समय पंचम छोड़ना – ग म नि ध, नि ध सां
- आरोह में वक्र रे का प्रयोग – सा रे सा ग म घ
- धैवत पर निषाद का आस लेना – ग म नि ध, नि ध सां
- न्यास के स्वर: सा, प, ध
- समप्रकृति राग: केदार और कामोद
विशेष स्वर संगतियाँ
- सारे सा, ग म नि ध
- ग म रे, ग म नि ष ध ऽ मे प
- सां नि ध ऽ म प
- ग म प, ग म रे सा
- प प सां, रे सां ध प
राग हमीर बंदिश – कैसे जाऊ लंगरवा
स्थायी
कैसे घर जाऊं लंगरवा।
सुन पावे मोरी सास ननदिया।
छाड़ दे मोहे ढीठ लंगरवा।
अन्तरा
हूं जो चली पनघटवा ठाढी।
कौन बहाने प्यारे बलमा।।
छीन लई मोरी शीश गगरिया।
बरजोरी पियावे सुंदरवा।।
Raag Hameer Bandish
अंतरा
राग हमीर तान – सम 8 मात्रा
- सारे सासा गम रेसा । गम धप गम रेसा ।
- गम धनि सांनि धप । मेप गम रेसा निसा ।
- सांनि धप मेप गम । धनि सांनि धप मेप ।
- पप गम रेसा धध । पप गम रेसा निसा ।
- सारे सासा पध पप । सारें सांसां धप मेप।
🎤 राग हमीर से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)
Q1: राग हमीर किस थाट से संबंधित है?
A1: राग हमीर कल्याण थाट से संबंधित एक समृद्ध और रंजक राग है, जिसमें दोनों मध्यम (शुद्ध व तीव्र) का प्रयोग होता है।
Q2: राग हमीर की जाति क्या है?
A2: इसकी जाति संपूर्ण-संपूर्ण मानी जाती है, अर्थात आरोह और अवरोह दोनों में सात-सात स्वर प्रयोग होते हैं।
Q3: राग हमीर का गायन समय क्या है?
A3: यह राग रात्रि के प्रथम प्रहर (लगभग रात 8 बजे तक) में गाया जाता है।
Q4: राग हमीर की प्रकृति कैसी है?
A4: राग हमीर की प्रकृति भव्य, रंजक और शृंगारपूर्ण होती है। यह राग ठुमरी, ख्याल और कर्नाटकी प्रभाव के कारण मंच पर अत्यंत प्रभावशाली रहता है।
Q5: इस राग में कौन-कौन से स्वर वक्र या विशिष्ट प्रयोग में आते हैं?
A5: इस राग में नि और रे आरोह में वक्र प्रयोग होते हैं, जबकि गंधार अवरोह में वक्र होता है। तीव्र म का प्रयोग केवल आरोह में, वह भी सीमित रूप में किया जाता है।
Q6: क्या राग हमीर में कोमल निषाद का प्रयोग होता है?
A6: हाँ, कभी-कभी अवरोह में रंजकता बढ़ाने हेतु कोमल नि का प्रयोग किया जाता है, विशेष रूप से धैवत के साथ।
Q7: राग हमीर की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
A7:
- दोनों मध्यमों (शुद्ध और तीव्र) का प्रयोग
- वक्र स्वरों की उपस्थिति
- भव्य और आनंददायक भाव
- पंचम का आरोह में प्रयोग कभी वर्ज्य, कभी प्रयुक्त –
- मतभेद
- पकड़: सा रे सा, ग म नि ध
Q8: राग हमीर किन रागों से मेल खाता है?
A8: इसकी समप्रकृति राग हैं – केदार और कामोद। इन रागों में भी तीव्र म का प्रयोग मिलता-जुलता होता है।
Q9: राग हमीर का वादी और संवादी स्वर क्या है?
A9: इस राग का वादी स्वर धैवत (ध) और संवादी स्वर गंधार (ग) है।
Q10: राग हमीर का आरोह, अवरोह और पकड़ क्या है?
A10:
आरोह: सा रे सा, ग म प मे प, ग म धऽ नि ध सां
अवरोह: सां नि ध प, मे प ध प ग म रे सा
पकड़: सा रे सा, ग म नि ध
How To Read Sargam Notes
कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- कोमल ग: ग(k) या ग
- कोमल रे: रे(k) या रे
- कोमल ध: ध(k) या ध
- कोमल नि: नि(k) या नि
नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।
तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- तीव्र म: म(t) या मे
स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।
तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।
मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।
- उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि
तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।
- उदाहरण: सां = तार सप्तक सा
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