राग बिलावल (Raag Bilawal)
संगीत की दुनिया में हर राग का अपना एक अलग भाव और समय होता है। जब हम सुबह की ताज़गी, पवित्रता और एक शांत शुरुआत की बात करते हैं, तो जिस राग का चित्र मन में उभरता है, वह है राग बिलावल।
राग बिलावल को अपने थाट का “राजा” माना जाता है, क्योंकि यह ‘बिलावल थाट’ का आश्रय राग है। इसकी सबसे बड़ी ख़ूबसूरती इसकी सादगी में है। इसमें लगने वाले सभी सात स्वर शुद्ध होते हैं, जिस वजह से यह संगीत की शुरुआती शिक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण रागों में से एक है। आइए, इस मनमोहक राग की दुनिया में गहराई से उतरते हैं।
इस लेख में आप जानेंगे:
इस लेख में हम राग बिलावल के बारे में गहराई से जानेंगे, जिसमें निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
- राग बिलावल का परिचय और उसका महत्व
- राग की सभी मुख्य विशेषताएँ (एक नजर में)
- आरोह,अवरोह और पकड़ की पूरी जानकारी
- प्रसिद्ध बंदिश “बीत गये दिन भजन बिना रे” (नोटेशन सहित)
- अभ्यास के लिए कुछ महत्वपूर्ण तानें
- अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब (FAQs)

राग बिलावल का परिचय
राग बिलावल भारतीय शास्त्रीय संगीत के महत्वपूर्ण रागों में से एक है। इसकी उत्पत्ति बिलावल थाट से मानी जाती है और इसमें सात स्वरों का प्रयोग होता है, जिसमें सभी स्वर शुद्ध होते हैं। बिलावल राग (Raag Bilawal) का वादी स्वर धैवत (ध) और सम्वादी स्वर गंधार (ग) है। राग की जाति सम्पूर्ण – सम्पूर्ण है, और इसका गायन समय प्रातःकाल होता है।
राग बिलावल आरोह-अवरोह और पकड़
- आरोह: स रे ग म प ध नी सां
- अवरोह: सं नी ध प म ग रे सां
- पकड़: ग रे , ग प ध नि सां
Raag Bilawal Parichay
विशेषता | विवरण |
---|---|
थाट (Thaat) – | बिलावल |
जाति (Jati) – | सम्पूर्ण – सम्पूर्ण |
वादी (Vadi) – | ध (धैवत) |
संवादी (Samvadi) – | ग (गंधार) |
गायन समय – | दिन का पहला प्रहर (सुबह 6 AM – 9 AM) |
कृती (Nature) – | शांत, भक्तिपूर्ण और गंभीर |
राग बिलावल की मुख्य विशेषताएँ और प्रकृति
- आश्रय राग: यह बिलावल थाट का आश्रय राग है, यानी यह अपने थाट का प्रतिनिधित्व करने वाला मुख्य राग है।
- सभी शुद्ध स्वर: इसकी सबसे बड़ी पहचान यह है कि इसमें सभी सात स्वर शुद्ध रूप में प्रयोग होते हैं। इसी सादगी के कारण यह सीखने में बहुत आसान माना जाता है।
- प्रातःकालीन राग: यह एक प्रातःकालीन राग है, जिसे सुबह के समय गाने-बजाने से इसकी शुद्धता और शांति का अनुभव और भी बढ़ जाता है।
- उत्तरांग प्रधान राग: राग बिलावल एक उत्तरांग प्रधान राग है। इसका मतलब है कि इसका विस्तार सप्तक के ऊपरी हिस्से (प, ध, नि, सां) में अधिक खिलता है।
- गंभीर प्रकृति: इसका स्वभाव चंचल नहीं, बल्कि शांत और गंभीर होता है, जो इसमें भक्ति और करुणा रस को प्रभावी बनाता है।
- सीधा चलन: इस राग का चलन सीधा और सरल होता है, इसमें बहुत ज़्यादा घुमावदार या वक्र तानों का प्रयोग नहीं किया जाता।
Raag Bilawal Bandish – “बीत गये दिन भजन बिना रे”
स्थाई (Sthayi)
प नी सं रे | नी सं ध प | रे ग म प | ग म रे स |
बी — त ग | ये — दि न | भ ज न बि | ना — रे — |
0 | 3 | x | 2
अंतरा (Antara)
प — प प | नी — सं — | गं — रें रें | सं नी सं —
बा — ल अ | व स था — | खे —ल गँ | वा —यो —
0 | 3 | x | 2
प नी सं रें | नी सं ध प | रे ग म प | ग म रे स
ज ब जवाs | — नी त ब | मा — न घ | ना — रे —
0 | 3 | x | 2
Raag Bilawal Taan – (8 मात्रा)
सारे गम पध निसां | सांनि धप मग रेसा
सारे गग रेग मम | पम गम गरे सा-
गम पम गम पम | गम पम गरे सा-
गम पम गम पध | सांनि धप मग रेसा
सांनि धसां निध सांनि | सांनि धप मग रेसा
सारे गप मग मरे | गप मग मरे सा-
गप धनि सांनि धप | सांनि धप मग रेसा
गप धनि सारें गंरें | सांनि धप मग रेसा
सारे गप धनि धप | मग मरे सारे सा-
सारे गरे गप मग | मरे गप धनि सां-
सांनि धप मग मरे | गप मग मरे सा-
FAQ: राग बिलावल से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1: राग बिलावल का परिचय (Raag Bilawal Parichay) क्या है?
उत्तर: राग बिलावल हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक प्रमुख राग है, जो बिलावल थाट से संबंधित है। यह राग सरल और मधुर होता है, और इसके सभी स्वर शुद्ध (Natural) होते हैं।
प्रश्न 2: राग बिलावल का आरोह और अवरोह (Raag Bilawal Aroh Avroh) क्या है?
उत्तर:
- आरोह: स रे ग म प ध नी सां
- अवरोह: सं नी ध प म ग रे सां
प्रश्न 3: राग बिलावल की जाति क्या है?
उत्तर: राग बिलावल की जाति ‘सम्पूर्ण-सम्पूर्ण’ होती है, यानी इसमें आरोह और अवरोह दोनों में सातों स्वर प्रयोग किए जाते हैं।
प्रश्न 4: राग बिलावल गाने का समय (Raag Bilawal Gayan Samay) क्या है?
उत्तर: इस राग का गान करने का उत्तम समय दिन का पहला प्रहर यानी सुबह होता है।
प्रश्न 5: राग बिलावल की थाट क्या है?
उत्तर: राग बिलावल ‘बिलावल थाट’ में आता है, जो कि स्वयं एक थाट का भी नाम है।
प्रश्न 6: क्या राग बिलावल नए सीखने वालों के लिए उपयुक्त है?
उत्तर: जी हाँ, राग बिलावल सभी शुद्ध स्वरों वाला सरल राग है, इसलिए यह शुरुआती संगीत छात्रों के लिए सबसे उपयुक्त रागों में से एक है।
प्रश्न 7: क्या भारत का राष्ट्रगान राग बिलावल पर आधारित है?
उत्तर: हाँ, “जन गण मन” को राग बिलावल के स्वर-संरचना के आधार पर कंपोज किया गया है, हालांकि इसमें कुछ अन्य स्वरों की झलक भी पाई जाती है।
प्रश्न 8: क्या राग बिलावल में कोई प्रसिद्ध बंदिश है?
उत्तर: जी हाँ, राग बिलावल में कई प्रसिद्ध बंदिशें हैं जैसे “बीत गए दिन भजन बिना रे”, जो अक्सर शास्त्रीय मंचों पर गाई जाती है।
How To Read Sargam Notes
कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- कोमल ग: ग(k) या ग
- कोमल रे: रे(k) या रे
- कोमल ध: ध(k) या ध
- कोमल नि: नि(k) या नि
नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।
तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- तीव्र म: म(t) या मे
स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।
तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।
मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।
- उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि
तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।
- उदाहरण: सां = तार सप्तक सा
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