इस पोस्ट में क्या है?

इस पोस्ट में हम राग बिहाग का परिचय (Raag Bihag Parichay) प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसमें आप जानेंगे Raag Bihag Notes, इसकी आरोह-अवरोह, पकड़, वादी-संवादी स्वर, और राग बिहाग की विशिष्ट विशेषताएं। साथ ही इसमें राग बिहाग के उपयोग, गायन-समय, और इससे मिलते-जुलते रागों की जानकारी भी शामिल है, जो विद्यार्थियों और भारतीय शास्त्रीय संगीत प्रेमियों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

Raag Bihag Parichay

आरोहन में रे ध वर्जित, गावत राग बिहाग।
प्रथम प्रहर निशि गाइये, सोहत ग-नि सम्वाद ।।

Raag Bihag Parichay – राग बिहाग की रचना बिलावल थाट से मानी गई है। इसके आरोह में रे, ध स्वर वर्ज्य हैं और अवरोह में सातो स्वर प्रयोग किये जाते हैं। इसलिए इसकी जाति औडव-सम्पूर्ण है। वादी स्वर गंधार और सम्वादी निषाद है। रात्रि के प्रथम प्रहर में इसे गाते-बजाते हैं। कभी-कभी तीव्र म और शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते है।

राग बिहाग आरोह-अवरोह और पकड़

  • आरोह – नि सा ग, म प, नि सां।
  • अवरोह – सां नि, ध प मे प ग म ग, रे सा।
  • पकड़ – नि सा ग म प मे प ग म ग, रे सा।
Raag Bihag – राग बिहाग परिचय, बंदिश, आरोह-अवरोह

राग बिहाग का परिचय

विशेषता

विवरण

थाट (Thaat)  –बिलावल
जाति (Jati)    –औडव-सम्पूर्ण
वादी (Vadi)   –गंधार (ग)
संवादी (Samvadi) –निषाद (नि)
गायन समय     –रात्रि का प्रथम प्रहर
कृती (Nature)   –गंभीर, कोमल और मधुर प्रकृति

राग बिहाग विशेषताएँ

  • चलन मन्द्र सप्तक से प्रारम्भ होती है – जैसे: नि साग, रेसा
  • रे और ध स्वर का अल्प प्रयोग – अक्सर कण स्वर के रूप में उपयोग होते हैं।
  • तीव्र मध्यम का प्रयोग – पंचम के साथ उपयोग होने पर विवादी प्रभाव देता है।
  • कुछ गायक शुद्ध बिहाग गाते हैं – इसमें तीव्र मध्यम का प्रयोग नहीं होता।
  • प्रचार में तीव्र मध्यम के कारण – कई संगीतज्ञ इसे कल्याण थाट से जोड़ते हैं।
  • सप्तकों में समान रूप से चलन – मन्द्र, मध्य, और तार तीनों सप्तकों में प्रयुक्त होता है।

भाव और प्रकृति

राग बिहाग एक गंभीर प्रकृति का राग है जो भावनात्मक गहराई और शांति प्रदान करता है। यह विलम्बित ख्याल, द्रुत ख्याल, और तराना के लिए उपयुक्त राग है।

  • न्यास के स्वर
    सा, ग, प और नि
  • मिलते-जुलते राग
    राग चलन का अंतर
    बिहाग – नि धप, मे प ग म ग, रेसा।
    यमन कल्याण – नि ध प, प मे ग म ग रे, नि रे सा।

राग बिहाग बंदिश – कान्हा जा रे

स्थायी
कान्हा जा रे, जा रे, जा रे सावरिया
काहे रोके मोरि घर कि डगरिया

अंतरा
जैसो तन तेरो तैसो मनवा
जैसो तन तेरो, तैसो मनवा
गारी दूंगी तोहे जाने दे अटरिया
बहिया दुखत मोरी भारी गगरिया

Raag Bihag Bandish (8 Matra)

 Sthayi

सा   म   ग   प  |  ¯   नि   ¯   नि  |  सां   नि   प   मे  |  ग   म   ग    ¯ | 
का  न्हा जा   रे  |  S  जा   S    रे  |  जा    S    रे  सा |  व   रि   या  S | 
 ०                   |  ३                   |   X                    |   २ 
 
 
गम   पध   ग   म  |  ग   रे   सा   नि  |  सा   प   मे   प  |  ग   म   ग   ¯ | 
काS  SS   हे   रो  |  S   के  मो   रि  |   घ   र   की   ड |  ग   रि  या  S | 
 ०                       |  ३                     |  X                    |   २ 
 
 

Antara

 
 
ग   म   प   नि  | सां   सां   सां   सां  | सांरें  सां   नि   ¯  | प   सां  नि  ¯ | 
जै   S   सो  S   |  त    न     ते    रो  |  तैS   सो   S    S |  म   न   वा  S| 
 ०                   | ३                        | X                        | २ 
 
 
ग   म   प   नि  | सांगं   रेंगं   सां  सां | सां   मं   गं   ¯ | सां   रें   सां   ¯ | 
जै   S  सो   S   |  तS    नS   ते   रो  | तै    S  सो   S |  म   न   वा   S | 
 ०                   | ३                          | X                   | २ 

सां – नी प | मं प मं प | मं प मं प | ग म ग –
गा S री दूं | S गी तो हे | जा ने दे अ | ट रि या S
 ०               | ३                | X               | २ 

स – म ग | प – सां नी | प – मं प | ग म ग –
ब हि या दु | खु त मोरी | भा S री ग | ग रि या S
 ०               | ३                 | X                 | २ 

 

 

राग बिहाग तान – 8 मात्रा

  • निसा गम पनि सांरें । सांनि धप मग रेसा ।
  • गम पनि सांगं रेंसां । निध पम गरे सा- ।
  • पमं गम ग- रेसा । निसा गम पनि सां ।
  • पनि सांनि धप मंप । गम पम गरे सा- ।
  •  गम पम पनि पनि । सांनि धप मग रेसा ।

❓राग बिहाग से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)


प्रश्न 1: राग बिहाग का परिचय क्या है?

उत्तर 1: राग बिहाग भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक लोकप्रिय राग है जिसकी उत्पत्ति बिलावल थाट से मानी जाती है। यह गंभीर और मधुर प्रकृति का राग है जिसे रात्रि के प्रथम प्रहर में गाया जाता है।


प्रश्न 2: राग बिहाग की आरोह, अवरोह और पकड़ क्या है?

उत्तर 2:

  • आरोह: नि सा ग, म प, नि सां
  • अवरोह: सां नि, ध प, म प ग म ग, रे सा
  • पकड़: नि सा ग म प, म प ग म ग, रे सा

प्रश्न 3: राग बिहाग का गायन समय क्या है?

उत्तर 3: राग बिहाग को रात्रि के प्रथम प्रहर (रात 8 से 11 बजे) के बीच गाया और बजाया जाता है।


प्रश्न 4: राग बिहाग की कोई प्रसिद्ध बंदिश कौन सी है?

उत्तर 4: राग बिहाग में कई सुंदर बंदिशें हैं। एक प्रसिद्ध बंदिश है –
“बाजूबंद खोलो मोरे सैंयां” जो द्रुत लय में बहुत लोकप्रिय है।


प्रश्न 5: राग बिहाग का वादी स्वर क्या है?

उत्तर 5: राग बिहाग का वादी स्वर गंधार (ग) है।


प्रश्न 6: राग बिहाग का थाट क्या है?

उत्तर 6: राग बिहाग का थाट बिलावल है। हालांकि कुछ संगीतज्ञ इसके तीव्र मध्यम के प्रयोग के कारण इसे कल्याण थाट से भी जोड़ते हैं।


प्रश्न 7: राग बिहाग पर आधारित फिल्मी गीत कौन से हैं?

उत्तर 7: राग बिहाग पर आधारित कुछ प्रसिद्ध फिल्मी गीत हैं:

  • “जिया ले गयो रे मोरा सांवरिया” (फिल्म: अनमोल घड़ी)

  • “बाजूबंद खोलो मोरे सैंयां” (ठुमरी आधारित गीत)


प्रश्न 8: राग बिहाग की जाति क्या है?

उत्तर 8: राग बिहाग की जाति औडव-सम्पूर्ण है – आरोह में पाँच स्वर और अवरोह में सात स्वर होते हैं।


प्रश्न 9: राग बिहाग का क्या अर्थ है?

उत्तर 9: “बिहाग’ शब्द का अर्थ है ‘विभावित’ या ‘विलासपूर्ण’। यह राग श्रृंगार और कोमल भावनाओं को दर्शाता है।


प्रश्न 10: राग मारू बिहाग क्या है?

उत्तर 10: राग मारू बिहाग, राग बिहाग और राग मारवा का मिश्रण है। इसमें कल्याण थाट के स्वर शामिल होते हैं और यह रात के उत्तरार्ध में गाया जाता है।


प्रश्न 11: राग बिहाग में कौन सा निषाद लगता है?

उत्तर 11: राग बिहाग में शुद्ध निषाद (नि) का प्रयोग होता है।


प्रश्न 12: Raag Bihag PDF कहाँ मिलेगी?

उत्तर 12: आप राग बिहाग से संबंधित PDF और नोटेशन ITC SRA या Indianraag.com जैसी वेबसाइटों से डाउनलोड कर सकते हैं।


प्रश्न 13: Raag Bihag Lyrics कहाँ मिल सकते हैं?

उत्तर 13: राग बिहाग की बंदिश या लिरिक्स आप इसी पोस्ट में ऊपर “बंदिश” सेक्शन में पढ़ सकते हैं। उदाहरण के लिए:
“बाजूबंद खोलो मोरे सैंयां” – यह रचना राग बिहाग की एक सुंदर द्रुत बंदिश है।


प्रश्न 14: Raag Bihag Wikipedia पर है?

उत्तर 14: हाँ, राग बिहाग की जानकारी Wikipedia पर उपलब्ध है।


प्रश्न 15: Raag Bihag Songs कौन-कौन से हैं?

उत्तर 15:

  • “बाजूबंद खोलो मोरे सैंयां”

  • “जिया ले गयो रे मोरा सांवरिया”

  • “ठुमक चलत रामचंद्र” – कुछ गायक इसे बिहाग अंदाज़ में प्रस्तुत करते हैं।


प्रश्न 16: Raag Bihag का मूड कैसा होता है?

उत्तर 16:
राग बिहाग का मूड कोमल, श्रृंगारिक और शांत होता है। यह राग श्रोताओं को भावविभोर कर देता है।

How To Read Sargam Notes

कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • कोमल ग: ग(k) या
  • कोमल रे: रे(k) या रे
  • कोमल ध: ध(k) या
  • कोमल नि: नि(k) या नि

नोट: आप परीक्षाओं में (रे, , , नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।

तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • तीव्र म: म(t) या मे

स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।

तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।

मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।

  • उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि

तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।

    • उदाहरण: सां = तार सप्तक सा

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