इस पोस्ट में क्या है?
इस लेख में हम राग भीमपलासी का परिचय (Raag Bhimpalasi Parichay) दे रहे हैं, जिसमें आप जानेंगे:
- राग भीमपलासी का परिचय और विशेषताएँ
- आरोह, अवरोह, पकड़ और वादी-सम्वादी स्वर
- गायन समय और उससे जुड़े मतभेद
- राग भीमपलासी की बंदिश ( छोटा ख्याल )
- राग भीमपलासी पर आधारित FAQs
यह पोस्ट राग को समझने वाले विद्यार्थियों और संगीत प्रेमियों के लिए उपयोगी है।
राग भीमपलासी परिचय
जब काफी के मेल में, आरोहन रे ध त्याग ।
तृतीय प्रहर दिन ग नि कोमल, मानत म स सम्वाद ।।
Raag Bhimpalasi – भीमपलासी राग का जन्म काफी थाट से माना गाया है। इसमें राग ग और नि कोमल तथा अन्य स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। आरोह में रे ध स्वर वर्जित हैं और अवरोह में सातो स्वर प्रयोग किये जाते हैं, अतः इसकी जाति औडव-सम्पूर्ण है। वादी स्वर मध्यम (म) तथा सम्वादी षडज (सा) है। इस राग को दिन के तीसरे प्रहर में गाया – बजाया जाता हैं।
राग भीमपलासी आरोह-अवरोह और पकड़
- आरोह – नि सा ग म, प नि सां।
- अवरोह – सां नि ध प म ग रे सा।
- पकड़ – नि सा म,प म ग म, ग रे सा।

राग भीमपलासी का परिचय
विशेषता | विवरण |
---|---|
थाट (Thaat) – | काफी |
जाति (Jati) – | औडव-सम्पूर्ण |
वादी (Vadi) – | मध्यम (म) |
संवादी (Samvadi) – | षडज (सा) |
गायन समय – | दिन का तीसरा प्रहर (दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक) |
कृती (Nature) – | विषादपूर्ण और गंभीर |
राग भीमपलासी की विशेषताएँ
मूल रचनात्मकता:
कुछ विद्वानों के अनुसार राग भीमपलासी, राग भीम और राग पलासी का मिश्रित स्वरूप है। आधुनिक समय में इन दोनों को अलग-अलग पहचानना कठिन हो गया है।स्वर-संगति की पुनरावृत्ति:
इस राग में सा-म (Sa–Ma) और प–ग (Pa–Ga) की संगति बार-बार सुनने को मिलती है, जो इसकी खास पहचान बनाते हैं।मींड युक्त स्पर्श:
अधिकतर स्थलों पर नि के साथ सा तथा ग के साथ म का मींडयुक्त (gliding) प्रयोग होता है। यह इसके भाव को और अधिक गहराई देता है।प्रकृति (Nature):
यह राग मूलतः करुण (विषादपूर्ण) और गंभीर प्रकृति का है। हालांकि इसमें होली जैसी हल्की-फुल्की रचनाएँ भी कभी-कभी सुनने को मिलती हैं।रचनात्मक लचीलापन:
भीमपलासी में बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल, तराना, ध्रुपद-धमार सभी प्रकार की बंदिशें गाई जाती हैं। यह इसे एक व्यापक गायन क्षमता वाला राग बनाता है।शुद्ध नि का वैकल्पिक प्रयोग:
कुछ संगीतज्ञ इसमें शुद्ध निषाद (ni) का प्रयोग बड़ी कुशलता से करते हैं। हालांकि यह अनिवार्य नहीं है, और सावधानी न बरतने पर इससे पटदीप राग की छाया आ सकती है।पटदीप से सम्बन्ध:
राग भीमपलासी के कोमल नि को शुद्ध करने और राग को उत्तरांग प्रधान बना देने से राग पटदीप की रचना होती है। यह दोनों रागों के बीच का सूक्ष्म अंतर है।
गायन समय – मदभेद
- राग-नियमों के अनुसार म वादी और सा सम्वादी होने पर राग उत्तरांग प्रधान होता है, पर भीमपलासी को तीसरे प्रहर (पूर्वांग) में गाया जाता है। इस विरोधाभास के कारण इसे नियम का अपवाद माना गया है।
राग भीमपलासी बंदिश
स्थायी (Sthayi)
जा
जा रे अपने मंदिरवा
जा जा रे अपने मंदिरवा
सुन पावेगी सासा ननदिया
अंतरा (Antara)
सुनेहु सदा रंग तुमको चहत है
क्या तुम हमको छगन दिया
जा जा रे अपने मंदिरवा जा
Raag Bhimpalasi Bandish Notes
स्थायी (Sthayi)
ग ¯ रे सा | रे नि सा ¯ | सा ¯ म म | म ¯ नि प |
जा S रे S | अ प ने S | मं S दि र | वा S जा S |
० ३ x २
ग ग रे सा | रे नि सा ¯ | सा ¯ म म | म ¯ ग म |
जा S रे S | अ प ने S | मं S दि र | वा S सु न |
० ३ x २
प नि सा ग | रे ¯ सां ¯ | रे नि सा प | ग ¯ प ¯ |
पा S वे S | गी S सा S | सा न न दि | या S जा S |
० ३ x २
अंतरा (Antara)
प प प म | प ¯ ग म | प प नि नि | सां सां सां ¯ |
सु न हु स | दा S रं ग | तु म को चा | ह त है S |
० ३ x २
नि नि सां गं | रे रे सां ¯ | नि नि सां सां | प म नि प |
क्या S तु म | ह म को S | छ ग न दि | या S जा S |
० ३ x २
राग भीमपलासी तान – 8 मात्रा
- निसा गम पम गम । पम गम गरे सा- ।
- निसा गम पनि धप । मप गम गरे सा- ।
- गम पनि सांनि धप । मप गम गरे सा-।
- निसा मग रेसा गम । पनि धप मग रेसा।
- निसा गम पनि सारें । सांनि धप मग रेसा।
राग भीमपलासी से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (FAQs)
प्रश्न: राग भीमपलासी का परिचय क्या है?
उत्तर: राग भीमपलासी काफी थाट से उत्पन्न एक करुण रसप्रधान राग है। इसमें कोमल गंधार और निषाद का प्रयोग होता है, जबकि अन्य स्वर शुद्ध होते हैं। यह राग दोपहर के तीसरे प्रहर में गाया जाता है और गहरे भावों की अभिव्यक्ति करता है।
―――
प्रश्न: राग भीमपलासी का आरोह, अवरोह और पकड़ क्या है?
उत्तर:
- आरोह – नि सा ग म, प नि सां।
- अवरोह – सां नि ध प म ग रे सा।
- पकड़ – नि सा म,प म ग म, ग रे सा।
―――
प्रश्न: राग भीमपलासी का वादी स्वर क्या है?
उत्तर: इस राग का वादी स्वर मध्यम (म) है।
―――
प्रश्न: राग भीमपलासी में कितने कोमल स्वर होते हैं?
उत्तर: इस राग में दो कोमल स्वर होते हैं – गंधार (ग) और निषाद (नि)।
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प्रश्न: राग भीमपलासी की बंदिश
उत्तर: राग भीमपलासी की एक प्रसिद्ध बंदिश है – “जा रे अपने मंदिरवा जा”, जो इसके भावपूर्ण स्वभाव को दर्शाती है।
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प्रश्न: राग भीमपलासी में छोटा ख्याल कौन-सा गाया जाता है?
उत्तर: इस राग में “काहे को रे बैरन बनायो” जैसे छोटे ख्याल प्रचलित हैं, जो करुण रस को दर्शाते हैं।
―――
प्रश्न: राग भीमपलासी पर आधारित कोई फिल्मी गीत
उत्तर: “झनक झनक तोरी बाजे पायलिया” (फिल्म: मेघ मल्हार) राग भीमपलासी पर आधारित एक प्रसिद्ध फिल्मी गीत है।
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प्रश्न: राग भीमपलासी का थाट क्या है?
उत्तर: यह राग काफी थाट से संबंधित है।
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प्रश्न: राग भीमपलासी में कौन-कौन से स्वर कोमल हैं?
उत्तर: इसमें गंधार (ग) और निषाद (नि) कोमल होते हैं।
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प्रश्न: राग भीमपलासी की जाति क्या है?
उत्तर: राग भीमपलासी की जाति औडव-सम्पूर्ण है। इसमें आरोह में पाँच और अवरोह में सात स्वर प्रयोग होते हैं।
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प्रश्न: राग भीमपलासी के वादी और सम्वादी स्वर कौन-से हैं?
उत्तर: वादी स्वर – मध्यम (म), सम्वादी स्वर – षडज (सा) है।
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प्रश्न: राग भीमपलासी का गायन समय क्या है?
उत्तर: यह राग दिन के तीसरे प्रहर में (लगभग दोपहर 12 से 3 बजे के बीच) गाया जाता है।
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प्रश्न: क्या राग भीमपलासी में शुद्ध नि का प्रयोग होता है?
उत्तर: कुछ गायक शुद्ध निषाद का प्रयोग करते हैं, लेकिन यह आवश्यक नहीं है। इसका प्रयोग करते समय सावधानी आवश्यक है अन्यथा राग पटदीप की छाया आ सकती है।
―――
प्रश्न: राग भीमपलासी किस रस से संबंधित है?
उत्तर: राग भीमपलासी मुख्यतः करुण रस से संबंधित है और यह गंभीरता तथा संवेदनशीलता को व्यक्त करता है।
―――
प्रश्न: राग भीमपलासी में कौन-कौन सी रचनाएँ गाई जाती हैं?
उत्तर: इसमें बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल, ध्रुपद, धमार, तराना आदि सभी रचनाएँ गाई जाती हैं।
―――
प्रश्न: राग भीमपलासी की समप्रकृति राग कौन-सी है?
उत्तर: राग भीमपलासी की समप्रकृति राग बागेश्री है, जो इसके स्वर विन्यास और भाव में समानता रखती है।
How To Read Sargam Notes
कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- कोमल ग: ग(k) या ग
- कोमल रे: रे(k) या रे
- कोमल ध: ध(k) या ध
- कोमल नि: नि(k) या नि
नोट: आप परीक्षाओं में (रे, ग, ध, नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।
तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:
- तीव्र म: म(t) या मे
स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।
तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।
मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।
- उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि
तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।
- उदाहरण: सां = तार सप्तक सा
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