इस पोस्ट में क्या है?

राग भैरवी हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक अत्यंत भावपूर्ण और लोकप्रिय राग है, जिसे किसी भी समय गाया जा सकता है। इस लेख में आपको राग भैरवी का परिचय (Raag Bhairavi Ka Parichay), आरोह-अवरोह, पकड़, वादी-संवादी, गायन समय, विशेषताएँ, और एक सुंदर बंदिश के साथ Raag Bhairavi notes in Hindi में संपूर्ण जानकारी मिलेगी। साथ ही लेख के अंत में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (FAQs) के उत्तर भी शामिल हैं।

राग भैरवी का परिचय

राग भैरवी भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक अत्यंत लोकप्रिय और भावनात्मक राग है। यह भैरवी थाट से उत्पन्न होता है और इसमें रे, ग, ध और नि कोमल स्वर होते हैं। मध्यम (म) वादी और षडज (सा) सम्वादी स्वर माने जाते हैं। यह राग सम्पूर्ण-सम्पूर्ण जाति का होता है, अर्थात आरोह और अवरोह दोनों में सात-सात स्वर होते हैं।

राग भैरवी आरोह-अवरोह

  • आरोह: सा रे म प नि सां

  • अवरोह: सां नि प म रे सा

  • पकड़: रे , सा रे सा, नि सा

📖 राग भैरवी परिचय (Raag Bhairavi Parichay)

विशेषता

विवरण

थाट (Thaat)  –भैरवी
जाति (Jati)    –सम्पूर्ण-सम्पूर्ण
वादी (Vadi)   –मध्यम (म)
संवादी (Samvadi) –षडज (सा)
गायन समय     –प्रातःकाल (Morning – 06 AM)
कृती (Nature)   –भावपूर्ण
Raag Bhairavi – परिचय, आरोह-अवरोह, समय, वादी संवादी

राग भैरवी की विशेषताएँ

  1. गायन समय: प्रातःकाल, लेकिन व्यवहार में किसी भी समय।

  2. स्वर प्रयोग: यद्यपि इस राग में रे, ग, ध और नि कोमल स्वर होते हैं, परंतु व्यवहार में बारहों स्वर प्रयोग में लाए जाते हैं। विशेषकर शुद्ध रे और शुद्ध ध का प्रयोग अधिक होने लगा है।

  3. प्रकृति: यह एक चंचल प्रकृति का राग है, जिसमें ठुमरी, टप्पा, तराना, छोटा ख्याल और अन्य लाइट क्लासिकल रचनाएँ प्रस्तुत की जाती हैं।

  4. फिल्म संगीत में प्रयोग: राग भैरवी के स्वर बॉलीवुड और अन्य फिल्म संगीत में व्यापक रूप से प्रयोग किए जाते हैं।

मतभेद

कुछ संगीतज्ञ म और सा को वादी-सम्वादी मानते हैं, जबकि अन्य प और सा को मान्यता देते हैं। यह मतभेद गायन शैली और घरानों पर निर्भर करता है।

Raag Bhairavi notes

Raag Bhairavi Bandish – कैसी ये भलाई रे

स्थाई

नि  स    म |    –    प | –    प प | म  प     | 

कै  सी ये  भ | ला  –  ई  रे | – क न्हा ई | प  नि यां भ | 
3              | x             | 2           | 0
 

प  म    रे |   प    नि |   प    म |    रे  स  स | 

र  त  मो रि | ग  ग  रि गि | रा  इ  क र |  के ल  रा  ई | 
3             | x             | 2           | 0
 

अन्तर 

ध  म  ध  नि | सं  –  सं  नि | संरें  ग  रे  ग | सं   रे   सं  सं | 

स  न  ध  क | हे   –  ए  सो | ढी-  – ट  भ | यो  क न्हा ई | 
0              | 3              | x               | 2
 

 ध   –  ध  ध |  प  ग  ग   रे  | ग  प  ढ  नि |  ध  प  ग  म |

का  –  क  रु | मा  इ  न  हिं  | मा न  त  क  | न्हा  इ  क  र |
0               | 3               | x              | 2
 

ग  रे  स  स  |

त  ल  रा  ई |

Raag Bhairavi Taan8 मात्रा

  • सारे म प निसां | सांनि प म रेसा
  • सारे गरे सा | म पम गरे सा-
  • म पम म पम | म पम गरे सा-
  • म पम म पध | निनि प म रेसा
  • सारे म प निसां | रेंगं रेंगं माँ रेंसा
  • सांनि प म रेसा | निनि प म रेसा 

राग भैरवी – सामान्य प्रश्न (FAQ)

प्रश्न – राग भैरवी कब गाया जाता है?

उत्तर – राग भैरवी का पारंपरिक गायन समय प्रातःकाल (सुबह) है। हालांकि व्यवहार में इसे किसी भी समय गाया-बजाया जाता है, विशेषकर संगीत समारोहों के अंत में।

प्रश्न – राग भैरवी की कथा क्या है?

उत्तर – राग भैरवी को देवी भैरवी से जोड़ा जाता है, जो शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं। यह राग भावनात्मकता, करुणा और माधुर्य का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी ध्वनि श्रोताओं में भाव-तरंगें उत्पन्न करती है।

प्रश्न – राग भैरवी किसकी रचना है?

उत्तर – राग भैरवी की कोई एकल रचना नहीं है। यह पारंपरिक भारतीय शास्त्रीय संगीत का हिस्सा है और अनेक संगीतज्ञों ने समय के साथ इसे विकसित किया है।

प्रश्न – राग भैरवी का परिचय क्या है?

उत्तर – राग भैरवी एक सम्पूर्ण-सम्पूर्ण जाति का राग है, जिसमें कोमल रे, ग, ध और नि स्वर होते हैं। इसका वादी स्वर मध्यम (म) और सम्वादी स्वर षडज (सा) माना जाता है।

प्रश्न – राग भैरवी के नोट्स क्या हैं?

आरोह: सा रे ग म प ध नि सां
अवरोह: सां नि ध प म ग रे सा
पकड़: म ग रे रे ग, सा रे सा, ध नि सा

प्रश्न – राग भैरवी किस जाति का राग है?

उत्तर – यह सम्पूर्ण-सम्पूर्ण जाति का राग है, यानी आरोह और अवरोह दोनों में सात स्वर प्रयोग किए जाते हैं।

प्रश्न -राग भैरवी किस थाट का राग है?

उत्तर – राग भैरवी, भैरवी थाट से संबंधित है। इसका नाम भी उसी थाट से लिया गया है।

प्रश्न – राग भैरवी का आलाप कैसे होता है?

उत्तर – आलाप में राग भैरवी का विस्तार शांत और मधुर रूप से किया जाता है, जिसमें कोमल स्वरों की अभिव्यक्ति के साथ-साथ धीरे-धीरे वादी-सम्वादी स्वर पर बल दिया जाता है। शुद्ध रे और ध का प्रयोग भी प्रचलन में है।

प्रश्न – राग भैरवी का आरोह, अवरोह और पकड़ क्या है?

आरोह: सा रे ग म प ध नि सां
अवरोह: सां नि ध प म ग रे सा
पकड़: म ग रे रे ग, सा रे सा, ध नि सा

प्रश्न – राग भैरवी की कोई प्रसिद्ध बंदिश बताएं।

उत्तर – कैसी ये भलाई रे कन्हाई – ऊपर इसके Notations दिए गए है।

How To Read Sargam Notes

कोमल स्वर: कोमल (मंद) स्वरों को “(k)” या “( _ )” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • कोमल ग: ग(k) या
  • कोमल रे: रे(k) या रे
  • कोमल ध: ध(k) या
  • कोमल नि: नि(k) या नि

नोट: आप परीक्षाओं में (रे, , , नि,) को इस प्रकार लिख सकते हैं।

तीव्र स्वर: तीव्र (तीव्र) स्वर को “(t)” या “(मे)” से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • तीव्र म: म(t) या मे

स्वर को खींचना: गाने के अनुसार स्वर को खींचने के लिए “-” का उपयोग किया जाता है।

तेज़ स्वर: जैसे “रेग” लिखे हुए स्वर यह दर्शाते हैं कि इन्हें तेज़ी से बजाया जाता है या एक बीट पर दो स्वर बजाए जाते हैं।

मंद्र सप्तक (निम्न सप्तक) स्वर: स्वर के नीचे एक बिंदु (जैसे, “.नि”) मंद्र सप्तक के स्वर को दर्शाता है।

  • उदाहरण: .नि = मंद्र सप्तक नि

तार सप्तक (उच्च सप्तक) स्वर: एक रेखा या विशेष संकेत स्वर को तार सप्तक में दर्शाता है।

    • उदाहरण: सां = तार सप्तक सा

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